Monday 19 December 2011

पैरो की बनावट से भविष्य का दर्शन

पैरो का अंगुठा भी भोग विलासता का एवं दाम्पत्य जीवन का परिचायक होता है | गोल एवं सोम्या आकृती का अंगुठा मनुष्य के विचारो में उदात्त भाव बनाये रखता है | अन्गुठे के पास वाली अंगुली यदि अन्गुठे से बडी है तो व्यक्ती मेहनती एवं परंपरागत कार्य एवं संपत्ती प्राप्त करके भी अशांती महसूस करता है लेकीन यदि अन्गुठे के पास वाली अन्गुलिया एक सी लम्बाई लिये हुये हो तथा कनिष्ठा अंगुली भी न्यूनाधिक उन्ही के बराबर हो तो व्यक्ती योगी एवं भोगी होता है अर्थात किशोरवस्था एवं युवा वस्था मै संयमित रहकर अध्ययन एवं मार्यादायो का पालन करता है तथा विवाहोपारांत श्रेष्ठ लक्षण से युक्त जीवन साठी को प्राप्त कर स्वर्ग तुल्य भोग भोगता हुआ पुनः विरक्ताभाव को प्राप्त कर लेता है | पुरुष के पैर यदि इस तऱ्ह के हो तो वह नम्रता उसका विशेष गुण होता है | स्त्री वर्ग के पैरो की ऐसे आकृती हो तो ऐसे स्त्री लक्ष्मी चिन्ह वाली होती है और अपने पति के भाग्य मीन कल्पनातीत परिवर्तन करवा देती है | अन्गुथे के विपरीत दिशा मे चारो अन्गुलिया बराबर होते हुये भी अंत मे गोल कोना बनाने जैसी आकृति हो तो स्त्री  या पुरुष दोनो हो प्रतिष्ठित पद सम्मान एवं लोकप्रिय होते है | रुखी सुखी एवं नसो का दर्शन होने वाले पैर शुभ और शांती दायक नही होते है |

एडी से अंगुष्ठ वाली अंगुली के मध्य सीधी रेखा स्पष्ठ दिखाई दे तो ऐसा जातक राष्ट्रीय सम्मान एवं शासंतंत्र मे हस्तक्षेप करने वाला राजा के समान राज्य धीश होता है अन्गुठे एवं एडी के भीच गहरा गोल भाग सम्मान एवं सम्रद्धी का सूचक होता है | चलते समय एडी पार भर रखने वाले लोग शारीरिक श्रम करने वाले तथा फाबे पर वजन रखने वाले लोग बुद्धी से काम लेने वाले चतुर और व्यावहारिक होते है | केवळ पैरो के आधार पर शुभा शुभ फळ कहना ठीक नही होगा अंततः अन्य लक्षणो को भी साथ मे जोड लेना चाहिये |

एडी पतली होने पर फेफडे एवं हृदय विकार की संभावना होगी तथा कनिष्ठा अंगुली के नीचे का भाग चपटा एवं रुखा होने पर कभी दुख तो कभी आनंद की अनुभूती होती है | चीन , जपान, कोरिया आदी देशो मे छोटे पैरो एवं अन्गुलिया श्रेष्ठ मानी जाती है जबकी दक्षिणी अमेरिका, महादिपो के देश एवं अफ्रीका के देशो मे बडे पैर  वाले  श्रेष्ठ माने गये है |

पैरो पर साफ त्वचा पर अंकुश , त्रिशूल, कमाल, पताका, चात्र, याव, मस्त्य, चक्र, आयात, वर्ग , आदी चिन्ह बने हो तो विभिन्न क्षेत्रो मे हस्तछेप करने वाला एवं इन्सानियत धारण करने वाला व्यक्ती होता है | पशु , क्रास, छीतरे हुये वृत्त या आयत आदि स्त्री वर्ग को दाम्पत्य या प्रेम सम्बन्धो मे विपरीत परिणाम दायक होते हुये संतान या मित्रो मे प्रसन्नता  दायक  होते है | अन्गुठे के उपर की तऱ्ह जितनी बल्लिया होती है उतना हि संतान सुख प्राप्त होता है  तथा जो सुद्रण एवं स्पष्ट बल्ली हो उतने नंबर की (ऊपर से )संतान  अपने विचारो के अनुकूल होती है स्त्री के पैरो मे सर्प की आकृती की रेखा उंगली के नीचे तक गयी हो तो परीचितो एवं मित्रो के साथ धोखा करने वाली तथा सदेव झूठ बोलने वाली होती है |

कोमल  गुलाबी चमकीले पैर वाली स्त्री वर्ग परम सौभाग्य दायक के सूचक होते है दोनो पैरो के नीचे के भाग को आपस मे सटा कर देखा जाये तो पीपल के पात जैसी हो तो धन संपती के अताः योग बनते है तनिक भी जागाह शेष ना रहे तो धन धान्य से युक्त न होते हुये भी स्वास्थ्य पीडा से दुखी रहते है सब कूच होते हुये भी कूच न होने का अहसास होता है | अन्गुठे पर चक्र या शंख बना हुआ हो तो मनचाही वस्तुये की प्राप्ती के अनेक अवसर मिळते है तथा दोनो का होने पर संघर्ष पूर्ण जीवन बना देता है |

पैर रखने पर पंजा फैल जाये तथा अन्गुलिया के बीच अंतर अधिक हो जाये तो दुर्भाग्य का सूचक होता है | कनिष्ट के पास वाली अंगुली अलग अलग होती है तो संतान होने पर संनिद्धीया नही मिल पाता है तथा जीवन साथी से वेचारिक मतभेद उभर जाता है | श्रेष्ट तळवे के कारण गिद्ध. तोता, या हंस जैसी चाल बनती है जो शुभ दायक होती  है | पैरो पर रोम अधिक होणा मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है | 

भविष्य पुराण के अनुसार रोम्युक्त पैर होने पर सिन्ग्ध अन्गुलिया एवं नाखून हो तो ऐसे लोग प्रेम के सागर होते है लेकीन उनको चाहने वालो की भरमार मे प्रतिद्वंदिता मे फस जाते है |